tag:blogger.com,1999:blog-1584379935157127922.post2220241382828427853..comments2012-08-03T01:08:40.164+05:30Comments on तनिष्क: भाषा की गुलामीडॉ.बी.बालाजीhttp://www.blogger.com/profile/10536461984358201013noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1584379935157127922.post-43755767320481987072011-08-21T20:25:01.313+05:302011-08-21T20:25:01.313+05:30@ चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी
आपकी टिप्पणी तार्किक है....@ चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी<br />आपकी टिप्पणी तार्किक है. टिप्पणी अच्छी लगी. धन्यवाद.डॉ.बी.बालाजीhttps://www.blogger.com/profile/10536461984358201013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1584379935157127922.post-59073770273514166932011-08-21T20:00:26.258+05:302011-08-21T20:00:26.258+05:30जब तक किसी भी भाषा को हटाने की राजनीतिक शक्ति नहीं...जब तक किसी भी भाषा को हटाने की राजनीतिक शक्ति नहीं होती, वह भाषा हटाई नहीं जा सकती। कभी संस्कृत, पाली, फारसी आदि राजभाषा रही और अंग्रेज़ों की इच्छाशक्ति से उन्हें दरकिनार कर दिया गया। हमारे नेता उसी गुलामी भाषा में पले बढे। उन्होंने भाषा ही नहीं, न्यायिक प्रणाली, सरकारी कार्य प्रणाली... यहां तक की हमारे संविधान को उसी गुलामी में ढाल दिया जिससे हम आज़ाद होने के लिए लड़े थे।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com