Sunday 12 June 2011

बाबा रामदेव को समर्पित


वन्देमातरम !

मैं बहुत व्यस्त हूँ
व्यस्त होने का बहाना है मेरे पास.

टी.वी पर देखा
समाचार पत्र में देखा
इंटरनेट पर देखा
लोगों को रोते-बिलखते
औरतों को गिड-गिडाते.

वर्दी और टोपी से पहचाना
खादी और काषाय वस्त्र से पहचाना
यह आज की बात है.

मेरे देश की बात है.

जनता की आवाज में मेरी भी आवाज मिल जाए
मैं अपनी व्यस्तताओं को
जिमेदारियों में बदल सकूं
चित्रों के पीछे के दर्द को
अपना दर्द बना सकूं.

2 comments:

ZEAL said...

मर्म को स्पर्श करती बेहतरीन रचना। आप चित्रों के पीछे का दर्द स्पष्ट रूप से देख रहे हैं । काश यही संवेदनाएं सभी में जागृत हों । काश सरकार भी इतनी संवेदनशील बने की व्यस्तताओं के मध्य अपनी जिम्मेदारी को समझे। कोई अनशन पर है , किसी की जान को खतरा है , लेकिन सरकार व्यस्त है ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

परंतु आपके वस्त्र और रंग कौन से है बंधु :) विचार तो भावुक है॥