तनिष्क
Monday, 16 January 2012
वे दोनों
वे दोनों
बातें
कहाँ करते हैं ?
चुप-चाप बैठे
आकाश की सफ़ेद पाटी
पर, काले-काले शब्दों को
आँखों से अंकित
कर, उकेरते हैं
अक्षरों की मालाएं
बुनते-बुनते
उठकर विपरीत दिशा
में, जाते
चले जाते हैं.
2 comments:
चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
said...
हाय! एक दूसरे के गले मे डाल देते तो अक्षर माला बन जाती!
16 January 2012 at 13:14
RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा
said...
सुंदर!
17 January 2012 at 01:39
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2 comments:
हाय! एक दूसरे के गले मे डाल देते तो अक्षर माला बन जाती!
सुंदर!
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